Sunday, October 28, 2012

कुछ लूटकर चले गए, कुछ "नए" लुटने आये है,
परिवतन के नाम पर, फिर नए मंत्री आये है !

विकास का नारा लेकर, भ्रस्टाचार दूर भगायेंगे,
पैसे मिले जनता से जितने, योजना के नाम पर खायेंगे!

हमारी सोच है .....
परिवर्तन सोचकर, अगली बार, नयी सरकार लायेंगे,
चोर- चोर भाई मौसेरे निकलते है, दोनों मिलकर खायेंगे !

 चुनाव में....
 लोकतंत्र है, लोकतंत्र है.......यही गीत गुनगुनायेंगे,
जितने के बाद फिर, भारत भूल, बिदेशो में घुमने जायेंगे !

ये लोकतंत्र है ..........
कुछ कोयला खाए , कुछ ने तो स्पेक्ट्रम लुटवाया है ,
"खेलो" को भी नहीं छोड़ा, कुछ ने तो "अपहिजो को हक़" खाया है!

मिलेंगे पैसे जो जनता से, फिर नयी योजना बनायेंगे ,
 कुछ तेरा होगा, कुछ मेरा होगा, फिर लुट कर खायेंगे !

 कुछ लूटकर चले गए , कुछ लुटने आये है ,
 परिवर्तन का नाम पर, फिर नए मंत्री आये है !!!