Saturday, March 30, 2013

गेहू & गुलाब

भूखो को पेट भरना,
अब ख्वाब बन गया है!
जीने का मतलब है खून देना,
हर वक़्त खून देने का हिसाब बन गया है!

अब दुनिया को चेहरा दिखाने का,
जरिया भी "खिजाब" बन गया है!
जिन्हें वासिन्दा होना था जेल का,
वो शहर का नवाब बन गया है!

जो तिलिस्म के आका थे,
वह... अब आफ़ताब बन गया है !
यह तो भेडो का झुण्ड था,
यहाँ के मालिक, "भेड़िया जनाब" बन गया है!

मुद्दे की बातो पर लड़कर राजा बनते,
पर अब गरीब होना अजाब बन है!
हालात बदल गया शहर का
अब मुद्दा गेहू बनाम गुलाब बन गया है!

Saturday, March 23, 2013

इन्टरनेट लव

कभी facebook  सा चाहूँ तुमको,
या   twitter  सा प्यार करू!
थोडा तो समझा दे   सजनी,
कैसे तुझसे प्यार करू!

कभी yahoo करके चिल्लाऊ,
या चुप होकर blogger का संसार भरू!
कभी orkut  सा गुम हो जाऊ,
या songspk  साइट्स सा  झंकार भरू!

थोडा तो समझा दे   सजनी,
कैसे तुझसे प्यार करू!!!!

कभी apna circle सा जुड़ता जाऊ,
या justdial सा व्यापार करू,
Wikki  पढ़ के पगलाऊ या,
fickr पे फोटो शेयर, दो चार करू !

gmail  का मेल बन,... छुप कर आऊ,
या,   दिल google  सा सदाबहार करू !
e - bay से गिफ्ट दिलवाऊ,
या quiker  सा प्रचार करू.!!

थोडा तो समझा दे   सजनी,
कैसे तुझसे प्यार करू!!!!

Friday, March 22, 2013

CBI ब्रम्हास्त्र

कितने किये हो पाप पुण्य, सब लेख नए लिखवायेंगे!
हमें समर्थन दे दो भईया, नहीं  तो सीबीआई लगायेंगे!

तेरे सारे कर्म कुकर्म, हम  जनता को बतलायेगे!
नयी नयी जांच बिठाकर, तेरे बुरे दिन दिखलायेंगे !

हमें समर्थन दे दो भईया, नहीं तो CBI लगायेंगे !!!!

घोटाले हो या कला धन, हम सब तेरे हम बचायेंगे !
फंस भी जाओगे कही तो, बिरोधी की चाल बतायेगे !

जब तक दोगे तुम समर्थन,  तुमको भी मंत्री बनायेगे !
जो भी लूटा धन होगा, सही हिस्से में बटायेंगे!

तू मेरी करुणा को देख, हम माया भी तुझे दिखायेंगे !
सीबीआई का डर देख, सब मुलायम पड़ जायेंगे !

हमें समर्थन दे दो भईया, नहीं तो CBI लगायेंगे !!!!

Wednesday, March 20, 2013

हर रोज होता है यहाँ ड्रामा, तो ये ड्रामा होता क्यों है!
लोकतंत्र का मंदिर कहते है, तो मंदिर में हंगामा होता क्यों है !

बोलने का हक मिला सबको है, फिर इसके लिए पैमाना क्यों है!
बिरोध भी करते है, फिर साथ रहने का उनका हलफ़नामा क्यों है!

मेहनत हम करते है, फिर उसपर इतना जुरमाना क्यों है !
जीत-हार उसके लिए है, फिर ये तंत्र जुआखाना क्यों है !

जरूरते हर साल बदल जाती है, फिर 5 सालो का सफरनामा क्यों है !
उनको सत्ता देते  है, फिर हम झेलते इतना हरजाना क्यों है !

हर रोज होता है यहाँ ड्रामा, तो ये ड्रामा होता क्यों है!
लोकतंत्र का मंदिर कहते है, तो मंदिर में हंगामा होता क्यों है !

Tuesday, March 19, 2013

कूल डुड & Yo Yo Boys.!!

लड़के कान छिदा रहे,
लड़की पहन रही पजामा है,
चाँद भी कंफ्यूज है,
वो किसका महबूब किसका मामा है!

मटक मटक के चलते देखा,
हर श्रींगार सेट होकर आये है!
पटर पटर  भाषा सुन लागे,
इंलिश में  ट्रांसलेट होकर आये है!

जींस थोड़ी नीची करके,
चड्ढी का ब्रांड दिखाते फिरते!
सभ्य समाज देख माथा पिटते,
सबको फैसन सिखाते फिरते!

अजब गजब परिधान इनके,
समझ न आये क्या पहना है!
जब तक ये बतला  न देते,
लगता है भाई नहीं ये बहना है!

बाल  कलर लगे  जैसे,
कोई पान थूककर गया है,
दाढ़ी मुछ देखकर लागे,
दढ़ियल बकरे के भैया है!

मातृ भक्ति और देशप्रेम सब,
त्योहारों पर इनको भाते है!
थोड़े अजीब से दीखते है,
पर  कूल डुड कहलाते है!

Monday, March 18, 2013

बदल जायेगा देख कुछ सालो में,
ये इन्तेजार तो हर बारी करता हूँ!

थोड़े पैसे बचा बचा कर,
ख्वाब - ए - फरारी करता हूँ!

पर महंगाई के दौर  देखकर,
खवाबो में भी घुड़सवारी करता हूँ!

चारा कोई लुट न ले, इसीलिए,
खुद खेती बारी करता हूँ !

बदल जायेगा देख कुछ सालो में,
ये इन्तेजार तो हर बारी करता हूँ!

बची रही इज्जत शहर में,
थोड़े धनी होने की बीमारी करता हूँ!

कुछ योजना का लाभ मिले, इसीलिए,
मंत्री तंत्री की बन्दंवारी करता हूँ !

चलो टैक्स देने का समय आ गया,
उसे भरने की तैयारी करता हूँ !

बदल जायेगा देख कुछ सालो में,
ये इन्तेजार तो हर बारी करता हूँ!

Tuesday, March 12, 2013

अब तेरी अदाँए भी मोह न पाती मुझे,
न जाने क्या जहर था तेरी बेवफाई में!

कभी सोचता था, खवाबो में दूर न जाऊ,
अब सोचता हूँ, जिन्दगी है तुझसे जुदाई में!

भरोसा था इतना, तेरे वादों की जरुरत न थी,
हर बार पर कसम खाया, तेरी दिल लगाईं में !

सुना था इश्क दर्द का समंदर है,
वो खड़े मिली किनारे पर, जब डूब रहा था गहराई में!

अब सहम जाता हूँ, "इश्क" का नाम सुनकर,
वो कहती है, कोई और ढूढ़ मेरे दिल की भरपाई में!

माटी के लोग

माटी के हो लोग अब माटी होए जाये!
राजा और राजा होए, लुट लुट के खाय!

लोग वा अब समझदार भइल,
केहू के बात सहल न जाए!
बदल रहल बा लोग अब,
काहे जुगवा बदलल कहलाये!

माटी के हो लोग अब माटी होए जाये!..२!!

जवन मेहनत से ना मिलल,
उ धन रखे छुपाये!
करिया लोग के सोच भइल,
उ धन भी काला कहलाये!

मंत्री तंत्री लुटे, तंत्री लुटे,
फिर भी प्रजातंत्र कहलाये!
हमार देश महान ह,
चलत रह इहे गीत गुनगुनाये !

माटी के हो लोग अब माटी होए जाये!..२!!

Thursday, March 7, 2013

आधुनिक लोकतंत्र


गलत करो कुछ भी, इलज़ाम औरो पर लगाते है,
ताड़ में ही रहते है, हर मुद्दा, चुनावी  कैसे बन  पाते है!

जब जब आये चुनावी पर्व, रंगे सियार बन जाते है,
जीत मिले जब इनको, जतना को भूल, चमचो से घिरे पाते है !

५ साल का ठेका लेकर, जनता का सेवक बतलाते है,
दिखा ठेंगा जनता को ये, हरे-भरे बन जाते है!

लोकतंत्र का नारा लेकर, वंश तंत्र चलाते है !
चाटुकार भी कम न इनके, जनता पे धाक दिखाते है!

सत्ता पक्ष हो या बिपक्ष, एक दूजे पे, भ्रष्ट का इलज़ाम लगाते है,
जो भी आया शासन करने, सब लुट कर खाते है !

अब हालत  ऐसी है...

एक तरफ बाघ खड़ा है,एक तरफ है घाघ,
खुद पे शासन करवाने को, एक को चुनिए जनाब!

Friday, March 1, 2013

मै कौन था..

हर दिल में एक चिंगारी  बनकर जागता हूँ !
रुकते कदम रुक न जाये, हर उस कदम पर भागता हूँ !

गहन निद्रा का वक़्त नहीं, जग जा तू सुरुआत समझ कर,
गुरु मंत्र मै क्या दूँ  तुझको, चल दे बस जज्बात समझकर !

ये एक सुरुआत समझ कर, थोड़ी हिम्मत दिखला देना,
सब जग जायेंगे, बस मंत्र "इंकलाब" का बतला देना !

मुझे मत जानना तुम,मुझसे न पूछना कि, मै कौन था!
परिचय कब थी दुनिया मांगी, जब मांगी तब मै मौन था!

बदल जायेगा सब कुछ जब, तब खबर के कोने में पड़ा मिलूँगा,
पहचान लेगीं दुनिया जब, चौराहे पे बड़े पत्थर पे जड़ा मिलूँगा!

कल फिर तेरे शहर में आऊंगा, कभी तो तू जागते मिलेगा!
कुछ जवान के जुबाँ पे इंकलाब होगा, कभी तो उनके पीछे भागते मिलेगा!

बजट पार्ट 2

गोरी तेरा प्यार महंगा हो गया,
सिगरेट और सिगार महंगा हो गया!
क्या क्या चीजे गिनवाऊ,
अब तो चलाना भी, घरबार, महंगा हो गया !

खड़े होकर नुक्कड़ पर,पट्रोल जलाकर
वो करना तेरा इन्तेजार, महंगा हो गया!
अब तो AC  होटल में खाना,
और पिने का जार महंगा हो गया !

हम सोचे थे हम गरीब है,
हर बार सोचते है चलो एकबार ही महंगा हो गया!
हर चीजो के किम्मत बढ़ गए,
देखते देखते अब संसार महंगा हो गया!

गोरी तेरा प्यार महंगा हो गया!
गोरी तेरा प्यार महंगा हो गया!