Thursday, May 28, 2020

Lockdown aur bharat ki Naari

अब ये नजर, दुनिया को छू लेने को तरसती है ।
पर एक दुनिया है, जो बरसो से इस चार दिवारी में बसती है  ।
न जाने कौन सी जंजीर बांध के आती है,
जिंदगी भर के लॉकडाउन से आजादी को  तरसती है |

हमने कुछ दिन गुजारे, फिर रोते रहे आज़ादी को,
काश! कभी सोचा होता उस "पर्दे" की पहरेदारी पर ।
जिनके पैदा होते ही, घरवालो के माथे पर शिकन सा होता है,
वो नादान बाप क्यों रोता है, अपनी लाचारी पर।

कभी रिश्तो, कभी समाज का भय दिखाकर,
पालता है झूठे संस्कारो के दलीलों पर,
उन्हें परदे में रखता है, फिर परदे की नशीहत दे,
 बांधता है बंधन उनके तालिमो पर ।

शादी बाद... नया लॉक डाउन शुरू होता है उनके जीवन मे ।
ससुराल के कड़े नियम, लगते है जैसे हो वन में ।
झूठे संस्कारो की लक्ष्मण रेखा खिंच,
फिर फंसी रहती है, नए लॉक डाउन के बंधन में  ।

काश! हर कोई समझ लेता,
जिंदगी भर के लॉक डाउन में फसी नारी को ।
निकलते जब बाहर इससे,
खत्म कर देते एक और महामारी को ।

Thursday, May 21, 2020

देश के हालात

सरकारे ट्विटर पर ,
अफवाहे  फेसबुक पर
नफरत व्हाट्सप्प पर।
बस ऐसे ही चल  रहा है देश हमारा।

वादें रैलियो  में ,
कार्यकाल रंगरेलियों में,
नियम  कानून पहेलियों में ,
मजदूरों की जान उनकी हथेलियों में ,
बस ऐसे ही चल  रहा है देश हमारा।

घोषणाएं अखबारों में ,
काम से ज्यादा खर्च इस्तिहारो में ,
अधूरे काम  फंसे है मझधारो में,
अब पत्रकारों भाव उपलब्ध है, बाजारों में।
बस ऐसे ही चल  रहा है देश हमारा।

अर्थवयवस्था बदहाल है,
सरकारी आंकड़ों पर भी सवाल है ,
मुर्तिया बनवा लो, अब प्राथमिकताओं में, कहाँ स्कूल और अस्पताल है ,
गलती से भी सवाल मत पूछना, नहीं  तो बवाल है।
बस ऐसे ही चल  रहा है देश हमारा।

पत्रकारों के भी कलम चल रहे है  सिक्के पर,
बिपक्ष व्यस्त  है दाव लगाने में, जोकरों और इक्के पर,
शहर बनाने वाले, आज सड़क नाप दिये फटे जुत्ते पर,
बस ऐसे ही चल रहा है देश हमारा।