Thursday, February 6, 2014

अथ: श्री भैंस कथा !!

सुबह सुबह सूबे में नयी सी हलचल रही,
भैसे तबेला छोड़कर, शहर में थीं टहल रही।

सेना, कमांडो क्या जवान,
सबकी हुई नींद हराम।
सुबह दोपहरी शाम तक,
गुस्से में थे आज़म खान!!

वो लालू से मिलने गयी,
ऐसा ही मै, सुना कुछ किस्सा,
कुछ समझौता था, लेने गए थी,
अपने "चारे" का हिस्सा !!

कुछ लोग "भूसे" को याद कर,
इशारा, दिमाग पर, राहुल के किया था,
कुछ लोगो ने मायावती के,
बहनो का जिक्र किया था।

कुछ कहे ये "बीन" सुनने,
मेरठ रैली में खड़ी मिली,
कुछ कहे ये अखिलेश जी के,
नाक के निचे पड़ी मिली।

अगले दिन जब भैस मिली,
"सैनिक" घोड़े बेच फिर सोते मिले ,
भैसो की किस्मत की तारीफ कर,
आज़म जी, अपनी किस्मत पर रोते मिले।

Thursday, January 23, 2014

"शहर का हाल"

अख़बार कुछ लिखते है, अपने अपने नाम से ,
चल आज किस्सा एक सुनते है, इस नादान से।  

नेता खेल रहे हैं, अपनी पारी, धर्म और ईमान से,
ढोंगी बड़ा रहा है खुद को, अल्लाह और भगवान से। 

कमजोर दे रहे थे गालिया, क्यों लड़ बैठे पहवान से।
सब अपने झुण्ड में मस्त थे, ग़ुम थे सब अपनी पहचान से।

खुद से परेशान देखा था सब को, सब खफा थे भगवान से।
क्यों इतने "खुदा" बनाये, चल पूछते है इंसान से।