Saturday, September 28, 2013

भगत सिंह जी की शुभ जयंती पर
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हर दिन सूरज आसमान में दीखता है,
आज एक सूरज भारत में आया था।
सोये हुए हर प्राणी में ,
एक क्रांति अंगार जलाया था।

क्या पूजूं मै राम कृशन को ,
क्यों अल्लाह को ढुंढू मस्जिद में।
जब देश प्रेम है पूजा मेरी ,
तुम ही भगवन हो मेरे जिद में।

गुलाम न रहे देश हमारा ,
एक ही उनकी ख्वाहिश थी,
आज खुसी से जश्न मनालो ,
वो शुभ दिन सितम्बर अठाईस थी।

जय भारत , जय भगत सिंह

Monday, September 2, 2013

जय किसान

झील मिलाहट तारो का देख,
आसमान की चादर में सोता है,
जय किसान कहने वालो, गौर से देखो,
एक किसान का दिल कैसे रोता है।

जा "इश्क" कबतक लिखता मै तुझपर,
बहुत बीमार मिलेंगे, तुझपर लिखने वाले,
थोडा  कलम रूकती है उस बंजर पर,
नहीं मिलते जिन्हें कोई देखने वाले।

परदेश आया एक मजदूर रोता है,
हर शाम सहम कर सोता है,
वक़्त का क्या भरोसा, कल रोटी मिले न मिले,
हर शाम पेट काट, सपने संजोता है।

वादों का पर्व आता हर पाँच साल पर,
अब हर वादा, दर्द चुभोता है,
एक मजदूर मानुष, खुद पर शासन के खातिर,
कभी भेंडिया, कभी शेर चुन.. रोता है।