Monday, January 28, 2013

कभी मुझे सायर मत कहना,
 मै तो एक मुसाफिर हूँ ....
गुनगुनाते सफ़र पर निकला हु !

मेरे अल्फाज़ तेरे दर्द के साथी बनेंगे,
जब जी में आये गुनगुना देना .....!!
राह में और भी मिलेंगे "दर्द के मारे"
उन्हें भी  ये सुना देना ....!!!

कभी मुझे हमसफ़र न समझना,
मै तो एक मुसाफिर हूँ ...
गुनगुनाते सफ़र पर निकला हु !

जब जी चाहे ..
कुछ वक्त हो तो साथ बिता लेना,
आँशु जब भी छलकने लगे,
मुझे सीने से लगा लेना ..!!

कभी मुझे बादल न समझाना..
मै तो एक मुसाफिर हु...
गुनगुनाते सफ़र पर निकला हु!


जब धुप लगेगी में दिल में, पनाह दूंगा,
सर्द में,
कभी तुझे न अपनी छाव में लाऊंगा,
प्यास लगे इसारा करना,
 मद्धम मद्धम बरस जाऊंगा .!!


मै तो एक मुसाफिर हु...
गुनगुनाते सफ़र पर निकला हु!

No comments:

Post a Comment