मेरी कविता कुछ ऐसी है.....
ये निकले जो, "महफ़िल" से, एक नयी उमंग लाती है,
जो गुजरे, "साज" से एक नयी तरंग लाती है !
मेरी कविता कुछ ऐसी है....
इश्क से निकले तो दर्द, समाज से निकलकर ब्यंग लाती है,
जो कभी गुजरे राम - रहीम के दर से, तो फिर सत्संग लाती है !
मेरी कविता कुछ ऐसी है....
बादलो से गुजरे तो , एक धनुष सतरंग लाती है!
कभी दिल से गुजरे तो प्यार का एक रंग लाती है !!
मेरी कविता कुछ ऐसी है...........
ये निकले जो, "महफ़िल" से, एक नयी उमंग लाती है,
जो गुजरे, "साज" से एक नयी तरंग लाती है !
मेरी कविता कुछ ऐसी है....
इश्क से निकले तो दर्द, समाज से निकलकर ब्यंग लाती है,
जो कभी गुजरे राम - रहीम के दर से, तो फिर सत्संग लाती है !
मेरी कविता कुछ ऐसी है....
बादलो से गुजरे तो , एक धनुष सतरंग लाती है!
कभी दिल से गुजरे तो प्यार का एक रंग लाती है !!
मेरी कविता कुछ ऐसी है...........
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