पतंगे अब उंचाइयो से , थोड़ी सहम सी गयी है!
डर लग रहा है, उन्हें बादलो से टकराने का !
टूट न जाए डोर कही , थोडा डर भी है, पर,
एक तमन्ना भी है इनकी , बिन डोर हवाओ में लहराने का!
पंखो के जीव, आँख दिखा, आगे बढ़ गए, इसका थोडा गम रहा,
पर ख़ुशी है, बिना पंखो के आसमान में आने का !
अब हवाएं, तेज न हो, थोडा डर भी है उखड जाने का,
थोडा एहसान भी है इनका, इन उंचाइयो तक लाने का!
एक डोर की गुलामी है, थोडा अफ़सोस है इसका,
पर ये डोर ही है रास्ता, दुनिया को नयी उंचाइयो से दिखाने का!
बाजी लगती है मजबूत डोर की, डर भी रहता है,
खुशी भी होती,
फिर जमीं पर आकर, किसी और की मुस्कराहट बन जाने का!
डर लग रहा है, उन्हें बादलो से टकराने का !
टूट न जाए डोर कही , थोडा डर भी है, पर,
एक तमन्ना भी है इनकी , बिन डोर हवाओ में लहराने का!
पंखो के जीव, आँख दिखा, आगे बढ़ गए, इसका थोडा गम रहा,
पर ख़ुशी है, बिना पंखो के आसमान में आने का !
अब हवाएं, तेज न हो, थोडा डर भी है उखड जाने का,
थोडा एहसान भी है इनका, इन उंचाइयो तक लाने का!
एक डोर की गुलामी है, थोडा अफ़सोस है इसका,
पर ये डोर ही है रास्ता, दुनिया को नयी उंचाइयो से दिखाने का!
बाजी लगती है मजबूत डोर की, डर भी रहता है,
खुशी भी होती,
फिर जमीं पर आकर, किसी और की मुस्कराहट बन जाने का!
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