खयालो की जहान से,
थोड़े ख्वाब बुनकर आया हूँ!
बड़े जतन से संभालकर,
अंधेरो से, उजाला चुनकर लाया हूँ!
शहर वाले जाग चुके थे,
उसकी आवाज सुनकर आया हूँ !
अब देश थोड़ा बदल जायेगा,
ये सोचकर इठलाया हूँ !
आज हिम्मत की कई नदिया,
हर दिल से खिंच कर लाया हूँ!
अब हर दिल में, उत्साह जागेगा,
उस रण को सींच कर आया हूँ !
कुछ इस दल के थे, कुछ उसके,
आज सबको एक "मुद्दे" पर लाया हूँ !
लुट चुके थे, उनके शहर वाले,
अब उन्ही के हक दिलाने आया हूँ !
थोड़े ख्वाब बुनकर आया हूँ!
बड़े जतन से संभालकर,
अंधेरो से, उजाला चुनकर लाया हूँ!
शहर वाले जाग चुके थे,
उसकी आवाज सुनकर आया हूँ !
अब देश थोड़ा बदल जायेगा,
ये सोचकर इठलाया हूँ !
आज हिम्मत की कई नदिया,
हर दिल से खिंच कर लाया हूँ!
अब हर दिल में, उत्साह जागेगा,
उस रण को सींच कर आया हूँ !
कुछ इस दल के थे, कुछ उसके,
आज सबको एक "मुद्दे" पर लाया हूँ !
लुट चुके थे, उनके शहर वाले,
अब उन्ही के हक दिलाने आया हूँ !
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