देशभक्ति का नया पैमाना ये है,
अब देश सेवा, भी बिना गद्दी के नहीं होता!
जनता के सेवको से पूछना,
कोई काम बिना हड्डी के नहीं होता!
दागी भरे है संसद के भीतर, क्यों?
हर मुल्क इतना कीचड़ नहीं ढोता!
मुद्दे बनते है, वोटो के खातिर, नहीं तो..
यहाँ नक्सल ग्राम और बीहड़ नहीं होता!
सब सेवक बन आते है, लेकिन,
इनकी सेवा में इमान नहीं होता,
लुट चुके सोने की चिड़िया, नहीं तो,
इसकी पहचान, धूल सामान नहीं होता!
दो दल में बट चुके है लोग अब,
देश की अखंडता का पहचान नहीं होता!
ये न बाटते वोटो की खातिर तो,
हर आदमी , मजहबी इन्सान नहीं होता !
अब देश सेवा, भी बिना गद्दी के नहीं होता!
जनता के सेवको से पूछना,
कोई काम बिना हड्डी के नहीं होता!
दागी भरे है संसद के भीतर, क्यों?
हर मुल्क इतना कीचड़ नहीं ढोता!
मुद्दे बनते है, वोटो के खातिर, नहीं तो..
यहाँ नक्सल ग्राम और बीहड़ नहीं होता!
सब सेवक बन आते है, लेकिन,
इनकी सेवा में इमान नहीं होता,
लुट चुके सोने की चिड़िया, नहीं तो,
इसकी पहचान, धूल सामान नहीं होता!
दो दल में बट चुके है लोग अब,
देश की अखंडता का पहचान नहीं होता!
ये न बाटते वोटो की खातिर तो,
हर आदमी , मजहबी इन्सान नहीं होता !
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