Saturday, March 30, 2013

गेहू & गुलाब

भूखो को पेट भरना,
अब ख्वाब बन गया है!
जीने का मतलब है खून देना,
हर वक़्त खून देने का हिसाब बन गया है!

अब दुनिया को चेहरा दिखाने का,
जरिया भी "खिजाब" बन गया है!
जिन्हें वासिन्दा होना था जेल का,
वो शहर का नवाब बन गया है!

जो तिलिस्म के आका थे,
वह... अब आफ़ताब बन गया है !
यह तो भेडो का झुण्ड था,
यहाँ के मालिक, "भेड़िया जनाब" बन गया है!

मुद्दे की बातो पर लड़कर राजा बनते,
पर अब गरीब होना अजाब बन है!
हालात बदल गया शहर का
अब मुद्दा गेहू बनाम गुलाब बन गया है!

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