माटी के हो लोग अब माटी होए जाये!
राजा और राजा होए, लुट लुट के खाय!
लोग वा अब समझदार भइल,
केहू के बात सहल न जाए!
बदल रहल बा लोग अब,
काहे जुगवा बदलल कहलाये!
माटी के हो लोग अब माटी होए जाये!..२!!
जवन मेहनत से ना मिलल,
उ धन रखे छुपाये!
करिया लोग के सोच भइल,
उ धन भी काला कहलाये!
मंत्री तंत्री लुटे, तंत्री लुटे,
फिर भी प्रजातंत्र कहलाये!
हमार देश महान ह,
चलत रह इहे गीत गुनगुनाये !
माटी के हो लोग अब माटी होए जाये!..२!!
राजा और राजा होए, लुट लुट के खाय!
लोग वा अब समझदार भइल,
केहू के बात सहल न जाए!
बदल रहल बा लोग अब,
काहे जुगवा बदलल कहलाये!
माटी के हो लोग अब माटी होए जाये!..२!!
जवन मेहनत से ना मिलल,
उ धन रखे छुपाये!
करिया लोग के सोच भइल,
उ धन भी काला कहलाये!
मंत्री तंत्री लुटे, तंत्री लुटे,
फिर भी प्रजातंत्र कहलाये!
हमार देश महान ह,
चलत रह इहे गीत गुनगुनाये !
माटी के हो लोग अब माटी होए जाये!..२!!
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