Tuesday, March 12, 2013

माटी के लोग

माटी के हो लोग अब माटी होए जाये!
राजा और राजा होए, लुट लुट के खाय!

लोग वा अब समझदार भइल,
केहू के बात सहल न जाए!
बदल रहल बा लोग अब,
काहे जुगवा बदलल कहलाये!

माटी के हो लोग अब माटी होए जाये!..२!!

जवन मेहनत से ना मिलल,
उ धन रखे छुपाये!
करिया लोग के सोच भइल,
उ धन भी काला कहलाये!

मंत्री तंत्री लुटे, तंत्री लुटे,
फिर भी प्रजातंत्र कहलाये!
हमार देश महान ह,
चलत रह इहे गीत गुनगुनाये !

माटी के हो लोग अब माटी होए जाये!..२!!

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