Friday, March 1, 2013

मै कौन था..

हर दिल में एक चिंगारी  बनकर जागता हूँ !
रुकते कदम रुक न जाये, हर उस कदम पर भागता हूँ !

गहन निद्रा का वक़्त नहीं, जग जा तू सुरुआत समझ कर,
गुरु मंत्र मै क्या दूँ  तुझको, चल दे बस जज्बात समझकर !

ये एक सुरुआत समझ कर, थोड़ी हिम्मत दिखला देना,
सब जग जायेंगे, बस मंत्र "इंकलाब" का बतला देना !

मुझे मत जानना तुम,मुझसे न पूछना कि, मै कौन था!
परिचय कब थी दुनिया मांगी, जब मांगी तब मै मौन था!

बदल जायेगा सब कुछ जब, तब खबर के कोने में पड़ा मिलूँगा,
पहचान लेगीं दुनिया जब, चौराहे पे बड़े पत्थर पे जड़ा मिलूँगा!

कल फिर तेरे शहर में आऊंगा, कभी तो तू जागते मिलेगा!
कुछ जवान के जुबाँ पे इंकलाब होगा, कभी तो उनके पीछे भागते मिलेगा!

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