बचपन मे जाना था , यहाँ सिर्फ इंसान रहते है।
बचपन था वो , यहाँ तो सिर्फ हिंदू और मुसलमान रहते है।
धर्मं बड़ा बताकर, इलज़ाम क्यों दुसरो पर लगाते है!
न गीता ,न ही कुरान, लड़ने को सिखलाते है !
दंगे फसाद की कहानी, सुनकर क्यों घबराते है !
"मेरा" गया तो रो दिए, "उनके" गए तो पीठ थपथपाते है !
ये तो ज़ेहन का सवाल था, जवाब कौन बतलायेगा !
पागल होते समझ भी जाते,समझदारो को कौन समझाएगा!
एक ख्वाब था ........
एक मंदिर, एक मस्जिद, एक गिरिजाघर साथ बनाऊंगा!
मुस्लिम, ईसाई, हिन्दू मिलाकर, "मानव" जात बनाऊंगा!
हालातों पे गौर करू तो, अब तो थोडा सा डर लगता है !
राम-रहीम क्यों साथ रहे, हर शहर, नफरत का घर लगता है!
बचपन था वो , यहाँ तो सिर्फ हिंदू और मुसलमान रहते है।
धर्मं बड़ा बताकर, इलज़ाम क्यों दुसरो पर लगाते है!
न गीता ,न ही कुरान, लड़ने को सिखलाते है !
दंगे फसाद की कहानी, सुनकर क्यों घबराते है !
"मेरा" गया तो रो दिए, "उनके" गए तो पीठ थपथपाते है !
ये तो ज़ेहन का सवाल था, जवाब कौन बतलायेगा !
पागल होते समझ भी जाते,समझदारो को कौन समझाएगा!
एक ख्वाब था ........
एक मंदिर, एक मस्जिद, एक गिरिजाघर साथ बनाऊंगा!
मुस्लिम, ईसाई, हिन्दू मिलाकर, "मानव" जात बनाऊंगा!
हालातों पे गौर करू तो, अब तो थोडा सा डर लगता है !
राम-रहीम क्यों साथ रहे, हर शहर, नफरत का घर लगता है!
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