Monday, February 25, 2013

मेरा न्यूज़ पेपर....

आज सुबह सुबह अकबर देखा,
कागजो पर लिखा मुद्दे हजार देखा!

ऊपर ऊपर मोटे मोटे लेख छपे थे,
कुछ मानवता की बाते बोझ से दबे थे!

नेतावो का भी बयान बड़े अक्षरों में छाया था!
ऐसा लगा था, कोई नेता मुंह से, गोबर करके आया था!

कई फ़िल्मी हस्तियाँ भी सुर्खियों में छाई थी!
किसका क्या चक्कर था या कौन सी लिपस्टिक लगाई थी !

घोटालो  का मुद्दा यहाँ थोडा नरम हो रहा था,
हिरोइन का पोस्टर से, पेपर थोडा गरम हो रहा था!

कही कुत्ता था बाग़ दे रहा, कही नाग शरमाया था!
यहाँ एक  "चुप इन्सान" भी, सुर्खियों में छाया था !

सारे मुद्दे  को एक लाइन में सजाता हूँ!
जो भी नया गीत बनेगा उसको मै सुनाता हूँ !


कही ढोंगी बाबा थे , कही कुछ हेरोइने  मिली,
कभी बाबा थे ऊपर, वही हेरोइने निचे मिली!  ( यहाँ उनके बारे में लिखे लाइनों के बारे में बात हो रही है )

कही डॉलर उछल रहा था,
कही बाजार पिघल रहा था!
कही तेल का भाव बढ़ रहा था,
कही किसी का तेल निकल रहा था!

सच को दिखाते दिखाते, कुछ  सच ही छुप रहा था यहाँ!
जब चुप होना था चिला रहा था , जब बारी आयी, चुप था यहाँ!

ये मेरा अख़बार था....

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